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पटवारी काम करेगा, बाकी सब मॉनिटरिंग करेंगे | Satirical Article on Patwari Duties

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कहते हैं, “काम का बोझ बांटना चाहिए”, पर सरकार ने इस सिद्धांत को थोड़ा रचनात्मक रूप से अपनाया है –
“पटवारी काम करेगा, बाकी सब देखेंगे कि वो काम कर रहा है या नहीं!”

जी हां, भारत के राजस्व तंत्र की कहानी कुछ यूं है –
पटवारी करे खेतों की माप, किसानों की फीडिंग, पोर्टल की एंट्री, सीमांकन का ड्रामा, और बाढ़-सूखा की रिपोर्टिंग;
और बाक़ी –
RI, नायब तहसीलदार, तहसीलदार, SDM, ADM, कलेक्टर, सचिव – सब मिलकर उसकी मॉनिटरिंग करेंगे।

🏢 विभाग नहीं, कैमरा मंडली है!

कहना गलत न होगा,
पटवारी हाथ में नाप का डंडा नहीं, गले में ‘GPS टैग’ लटकाए चलता है!

🎭 नाम – पटवारी; काम – 101

और ऊपरी साहब लोग?

बैठक पर बैठक, रिपोर्ट पर रिपोर्ट, और मॉनिटरिंग की मीटिंग में ‘काफी’ के साथ चिंतन!

🧠 मॉनिटरिंग का मतलब

RI साहब मॉनिटरिंग करते हैं –
पटवारी समय से रिपोर्ट बना रहा है या नहीं?

तहसीलदार जी मॉनिटरिंग करते हैं –
क्या पटवारी ने खसरा फोटो खींचा?

SDM साहब मॉनिटरिंग करते हैं –
पटवारी ने फाइल में ‘फॉरवर्ड’ लिखा या नहीं?

कलेक्टर साहब मॉनिटरिंग करते हैं –
क्या पोर्टल पर टिक हुआ या नहीं?

और सचिव जी दिल्ली से मॉनिटरिंग करते हैं –
“GPS लोकेशन 3 मीटर इधर क्यों गई?”

 

🤷 पटवारी की गलती

मतलब, अगर ज़मीन में गड्ढा भी हो जाए, तो उसका दोष भी पटवारी पर ही!

🔚 निष्कर्ष नहीं, कटाक्ष

देश में अगर सबसे मॉनिटर होने वाला प्राणी कोई है, तो वह है –
पटवारी!

और सबसे कम मॉनिटर करने वाला?
वही जो सिर्फ मॉनिटर करता है।

कहावत बदलनी पड़ेगी:

Justice delayed is justice denied!
अब कहना चाहिए:
“पटवारी overloaded is पटवारी blamed!”

अगर कभी भारत में “वर्कर ऑफ द ईयर” का अवॉर्ड हुआ,
तो पटवारी जरूर नॉमिनेट होगा —
बस, कोई ऊपर वाला फाइल पास कर दे!

🏃‍♂️ पटवारी का टाइमटेबल: न NASA के पास ऐसा शेड्यूल है!

सुबह 6 बजे:
📲 WhatsApp पर पहला मैसेज – “ग्राम पीपलखेड़ा में सीमांकन है, GPS लोकेशन के साथ Live रिपोर्टिंग करें।”

सुबह 8 बजे:
📞 पंचायत सचिव का कॉल – “PM किसान पोर्टल में 14 किसानों की DOB गलत है, अभी सुधार करें।”

सुबह 9 बजे:
📁 RI साहब का आदेश – “खेत नंबर 456 की गिरदावरी फ़ोटो में तुम्हारी परछाई ठीक से नहीं दिख रही!”

दोपहर 1 बजे:
📷 तहसीलदार जी का Screenshot – “पिछली सीमांकन रिपोर्ट में 2 फसलें दिख रही हैं – तस्दीक दोबारा करो!”

शाम 4 बजे:
📑 RTI एक्टिविस्ट का मेल – “2018 से 2025 तक के सभी सीमांकन की डिजिटल कॉपी चाहिए, वो भी आज ही।”

रात 9 बजे:
💻 पोर्टल डाउन, किसान चिल्ला रहे हैं, सचिव बोले – “तुम ही कुछ करो!”

सवाल ये है – क्या पटवारी इंसान है या सरकारी जादूगर?

📣 छुट्टी मांगी थी, चार RTI मिल गईं

एक बार एक पटवारी ने “अत्यंत विनम्रता पूर्वक” छुट्टी की अर्ज़ी लगाई।

जवाब आया:

“आपकी अनुपस्थिति में काम बाधित होगा। साथ ही सीमांकन, गिरदावरी, नामांतरण, पोर्टल सुधार, RTI उत्तर, और फसल बीमा सत्यापन पेंडिंग है।”

अर्ज़ी खारिज।

और हां, अगले दिन दो RTI, एक किसान धरना और ऊपर से सचिव का रिमाइंडर मेल आ गया!

📚 पटवारी ट्रेनिंग नहीं, “ट्रेनिंग + कूटनीति + तांत्रिक” कोर्स है

🧠 पाठ्यक्रम:

📺 “मॉनिटरिंग के महारथी”: हर एक को लगती है एक रिपोर्ट कम

RI: “तुमने गिरदावरी की फोटो भेजी, लेकिन खेत के पीछे मंदिर नहीं दिखा – फिर से जाओ।”

तहसीलदार: “सीमांकन पंचनामा में लाइन खींची, लेकिन किसान की आंखों में संतुष्टि नहीं दिख रही थी – रिपीट करो।”

SDM: “PDF फॉर्मेट सही नहीं है, Arial 12 में चाहिए था – नोटिस भेजो।”

कलेक्टर: “Dashboard पर रंग लाल है, इससे मेरी मीटिंग में दिक्कत हुई – सुधार करो।”

सचिव: “Data Sync में 7 मिनट की देरी है, राज्य स्तर से जवाब मांग लिया है।”

 

📉 “Performance Appraisal”: जो ज्यादा करे, वही ज्यादा फंसे

अगर कोई पटवारी दिन-रात मेहनत करे, तो उसे इनाम नहीं, अधिक काम मिलता है!

“आप बहुत अच्छा कर रहे हैं – इसलिए अब तीन और ग्राम आपके हल्के में जोड़े जा रहे हैं!”

🔚 अंतिम कटाक्ष:

पटवारी का नाम रिकॉर्ड में सबसे नीचे होता है,
पर जिम्मेदारी सबसे ऊपर!

“RI से लेकर सचिव तक, सबके काम की शुरुआत पटवारी की रिपोर्ट से होती है, और अंत उसी के दोष निर्धारण पर!”

 

✍️ पटवारी की आत्मकथा – “मेरी व्यस्तता, तुम्हारी फाइल!”

– एक जमीनी कर्मचारी की ज़ुबानी, उसकी ही ज़ुबान में – हास्य और हकीकत का मिलाजुला दस्तावेज़

मेरा नाम “पटवारी” है।
सरकारी रिकॉर्ड में मेरा दर्जा “सबसे छोटा कर्मचारी” है,
लेकिन ज़मीनी जिम्मेदारियों की बात करें तो –
मेरे कंधों पर ही पूरा राजस्व विभाग टिका है!

फिर भी जब कोई फाइल अटकती है,
तो कहा जाता है –
“पटवारी ने कुछ नहीं किया!”

⏰ अध्याय 1: मेरी सुबह – सूरज से पहले, आराम से बहुत बाद

सुबह 5:30 बजे
मोबाइल की घंटी बजती है –
📲 “RI साहब का मैसेज: ‘तुम्हारा खेत नंबर 345 आज सीमांकन में है, GPS लोकेशन भेजो।'”

अभी चाय का पहला घूंट भी नहीं लिया होता कि पंचायत सचिव का कॉल आ जाता है –
📞 “PM किसान पोर्टल फीडिंग रुकी है, आज पूरा डेटा अपलोड चाहिए।”

कभी-कभी तो लगता है मैं इंसान नहीं,
चलती-फिरती डिजिटल सेवा हूँ!

📅 अध्याय 2: मेरा दिन – खेत, पंचायत, पोर्टल और फिर RTI

और मैं सोचता हूं – फाइल भी तुम्हारी, शिकायत भी तुम्हारी, गलती भी मेरी?

🎭 अध्याय 3: मेरी ज़िम्मेदारियाँ – नाम तो एक, पर काम 101

विभाग / काम मेरी भूमिका
राजस्व विभाग सीमांकन, गिरदावरी, नामांतरण
कृषि विभाग फसल बीमा सत्यापन
पंचायत भू-अधिकार फीडिंग
चुनाव आयोग मतदाता सूची का सत्यापन
आपदा प्रबंधन बाढ़/सूखा रिपोर्टिंग
RTI पिछले 5 साल का ब्योरा देना
भू-अभिलेख पोर्टल अपडेट, नक्शा मिलान

फिर कहते हैं – *“एक पटवारी, एक हल्का।”
नहीं साहब – एक पटवारी = पूरा प्रशासन!

🔍 अध्याय 4: मॉनिटरिंग मंडली – मेरा CCTV जिंदगीनामा

और मैं बस मुस्कुराता हूं –
क्योंकि रोने का भी समय नहीं!

🚫 अध्याय 5: मेरी छुट्टियाँ – एक सरकारी मज़ाक

6 महीने में 2 छुट्टियाँ मांगी –
➤ एक को कहा गया: “अभी सीमांकन चल रहा है”
➤ दूसरी को कहा गया: “तुम्हारे जाने से हल्का रुक जाएगा”

छुट्टी की अर्ज़ी फॉरवर्ड करने में ही 3 अफसर मॉनिटरिंग कर रहे थे।
फिर भी अंत में लिखा गया – “कार्य हित में अस्वीकृत”

मतलब:
तुम बीमार हो या लाचार –
पटवारी को फील्ड में ही रहना है, चाहे GPS चले या न चले!

📣 अध्याय 6: जब मैं बोलता हूं – “सिस्टम भी कभी मेरी सुन ले”

क्या मैं कोई मशीन हूं?
या फिर सरकारी punching bag?

🏁 अंतिम अध्याय: मेरी व्यस्तता, तुम्हारी फाइल!

अगर आपकी फाइल समय पर अपडेट नहीं हुई –
तो मुझसे पहले खुद से पूछिए:

मैं हर रोज़ सुबह खेत में होता हूं,
हर शाम पोर्टल पर लड़ता हूं,
हर रात रिपोर्ट में नाम तलाशता हूं।

मैं पटवारी हूं – काम मेरा, जिम्मेदारी मेरी,
पर क्रेडिट…?

“RI साहब ने मॉनिटर किया।”
“SDM ने संज्ञान लिया।”
“सचिव जी ने रिपोर्ट पास की।”

🎤 उपसंहार: एक छोटी सी विनती…

कभी ऑफिस में बैठकर सिर्फ फाइल की देरी मत गिनो,
कभी फील्ड में मेरे साथ चलो,
ताकि समझ सको –

“ये जो फाइल तुम्हारे टेबल पर है,
उसके लिए मैंने कितनी धूल खाई है।”

 

💔 पटवारी और पोर्टल – एक टूटे हुए रिश्ते की दास्तान

✍️ सच्ची कहानियों पर आधारित, सॉफ्टवेयर और समर्पण के बीच पनपता दर्द…

👫 प्रेम की शुरुआत: जब पोर्टल नया-नया आया था

जब BhuNaksha, PM-Kisan, e-Mitra, Digitized Halka Management, Girdawari Uploading, M-ROD, Apna Khata, e-Nam, Jankalyan Portal, e-District, MIS Dashboard जैसे पोर्टल लॉन्च हुए,
तब मैंने सोचा —

“सरकार मुझसे डिजिटल प्यार कर रही है!”

हर पोर्टल ने वादा किया –
📜 “हम तुम्हारे काम को आसान बनाएंगे!”

मैंने भी दिल खोल दिया –
दिन-रात नेट के सहारे,
कैफे में जाकर डेटा भरा,
कभी अपने पैसों से रिचार्ज करवाया।

पर जल्द ही मुझे अहसास हुआ –

ये प्यार नहीं था…
ये सिर्फ लोडिंग था!

🔌 डेटा एंट्री का रोमांस: अधूरा लोड, अधूरी मोहब्बत

जब मैं खेत से लौटकर थका-हारा लैपटॉप खोलता,
तो पोर्टल मुझे यूं देखता:

🖥️ “Server Error 500 – Internal pain only you can understand.”

मैंने बहुत बार Retry किया…
पर पोर्टल ने मुझे सिर्फ टाइप कराते कराया,
Submit कभी नहीं किया!

🤦‍♂️ सबकी नजरों में दोषी मैं, लेकिन Hang तो तू था!

मैं चुप रहा…
क्योंकि अगर बोला –
“सर, पोर्टल डाउन था!”
तो जवाब मिलता:

“तुम बहाने बना रहे हो, सिस्टम नहीं!”

🧠 पोर्टल की विशेषताएं – झलकियां

फ़ीचर अनुभव
लॉगिन रोज़ नया सरप्राइज – कभी होता है, कभी नहीं
Captcha ऐसे फ़ॉन्ट में, जिसे पढ़ने के लिए जासूस बनो
Error Message इतना डिटेल्ड कि समझ में कुछ न आए
Save बटन दबाओ तो लगता है दबा नहीं, और दबाया तो दो बार गया
Server Load जैसे देश की पूरी जनसंख्या एक ही साथ लॉगिन हो गई हो

🧨 रिश्ता टूटने की वजह – अविश्वास और Update

एक दिन पोर्टल ने कहा:

“अब नया वर्जन आया है – Geo-tagging वाला।”

मैंने पूछा –

“क्या पुराने प्यार की कोई कीमत नहीं?”

पोर्टल बोला –

“नियम बदल गए हैं, GPS लोकेशन डालो नहीं तो डेटा Reject।”

बस वहीं से हमारा रिश्ता टूट गया…
अब हम साथ तो हैं,
लेकिन एक-दूसरे को समझ नहीं पाते।

🧹 अब मैं क्या करता हूं?

“शायद अब ये सुधर जाएगा!”

पर ये रिश्ता अब बस ड्यूटी बनकर रह गया है,
प्यार और भरोसे की जगह अब सिर्फ Error Code है।

🎤 निष्कर्ष – सॉफ्टवेयर बना सॉफरवेयर!

“हमारे बीच अब न भरोसा है,
न स्पीड…
न सिंक है,
न ही क्लिक में क्लिक!”

मैं पटवारी हूं –
आज भी अपने पुराने प्यार “पोर्टल” को
रोज़ खोलता हूं,
रोज़ दुखी होता हूं,
और फिर Log Out कर देता हूं…

🧾 “हल्का मेरा है, सिस्टम किसी और का”

✍️ एक ऐसी कहानी, जहां ज़मीन तो मेरी है… पर आदेश ऊपरवालों के हैं!

📍 भूमिका:

“ये हल्का मेरा है!”

ऐसा मैं कहता हूं, जब कोई किसान कहता है – “तुम हमारे पटवारी हो!”

लेकिन सच्चाई ये है…
मैं बस दिखावे में मालिक हूं,
बाकी पूरा सिस्टम किसी और का है!

🏠 अध्याय 1: हल्का मेरा – पर मोबाइल पंचायत सचिव का

सुबह-सुबह WhatsApp पर मैसेज आता है:

📲 “आज 9 बजे से पंचायत भवन में भू-अधिकार कैंप लगाना है – मोबाइल, प्रिंटर और नेट लेकर पहुंचिए।”

मैं सोचता हूं –
“मोबाइल पंचायत सचिव का,
प्रिंटर पंचायत का,
पोर्टल राज्य सरकार का,
और गलती सिर्फ मेरी?”

किसान बोले: “नाम चढ़ नहीं रहा!”

सचिव बोले: “पटवारी ने ढंग से नहीं डाला होगा!”

और मैं… खड़ा हूं सिस्टम के बिच में – न इधर का, न उधर का।

🗂️ अध्याय 2: आदेश ऊपर से – हल्का नहीं, हुक्म चलता है

हर कोई आदेश देता है,
जैसे पटवारी नहीं,
सरकारी रिमोट कंट्रोल हूं!

पर जब मैं कहूं –
“नेट नहीं है साहब, पोर्टल नहीं खुल रहा…”
तो जवाब मिलता है –

“तुम्हारा काम है न, जुगाड़ करो!”

📌 अध्याय 3: हल्का मेरा, स्टाफ किसी का नहीं!

RI साहब का कर्मचारी – कोई नहीं
तहसीलदार साहब का PA – एक नहीं, दो!
SDM ऑफिस में कंप्यूटर ऑपरेटर – हर मेज पर एक!
कलेक्टर ऑफिस – पूरी फौज!

और मेरा हाल?

“मैं, मेरी डायरी, एक बॉलपेन और एक धीमा स्मार्टफोन!”

साहब लोग मॉनिटरिंग में व्यस्त,
और मैं ‘Esc’ बटन ढूंढते हुए भी खुद को एंटर नहीं कर पाता!

📦 अध्याय 4: जमीन मेरी, सिस्टम पोर्टल का

कभी-कभी तो किसान कहता –

“तुम हमारे गांव के हो, हमारी बात समझो!”

मैं क्या जवाब दूं?

“गांव भले तुम्हारा,
पर काम पोर्टल का है –
और पोर्टल बोले तो… SYSTEM का!”

अगर पोर्टल बोले –
“खेत की लोकेशन GPS से मेल नहीं खाती,”
तो मैं क्या करूं?
खेत को उठाकर 3 मीटर इधर ले आऊं?

🔁 अध्याय 5: ज़िम्मेदारी मेरी, सिस्टम की सुविधा अनुसार

फील्ड में झगड़ा हो – दोष मेरा
फाइल अटके – दोष मेरा
पोर्टल हैंग – बहाना मेरा
पर क्रेडिट? वो सबका!

🎤 अंतिम कटाक्ष:

“हल्का मेरा है…
लेकिन आदेश ऊपर से,
अनुमोदन तहसील से,
निगरानी RI से,
दबाव पंचायत से,
और थप्पड़ किसान से!”

और इस पूरे सिस्टम में मैं ही अकेला ऐसा हूं
जिसका “Accountable” होना तो तय है,
पर “Supportable” होना कोई गारंटी नहीं!

🔚 उपसंहार – हल्का मेरा, शासन किसी और का

मुझे देखकर कभी-कभी हल्के की मिट्टी भी पूछती है:

“तू मेरा रखवाला है या सरकारी नौकर?”

और मैं चुपचाप एक नई RTI की कॉपी प्रिंट करता हूं…
क्योंकि सिस्टम का प्यार नहीं मिलता,
सिर्फ Monitoring मिलती है!

 

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